आचार, विचार, प्रचार और सदाचार" इन शब्दों का उपयोग या अर्थ प्रायः साधारण प्रतीत होता है लेकिन अगर इस पृथ्वी के प्रत्येक मनुष्य इनको याद रखे तो पृथ्वी से 99 प्रतिशत बुराइयाँ नष्ट हो जाएगी। तो चलिए थोड़ा समझते है इन शब्दों को।
विचार (thoughts) -
किसी मनुष्य में विचार उसके मन की प्रवृत्ति के अनुसार प्रकट होते है। जो उसके आचरण को प्रभावित कर सकते हैं। अर्थात किसी व्यक्ति के विचार ही उसके आचार को बनाते है।
इसे भी समझे - मन और बुध्दि किसे कहते है ?
आचार (conduct) -
यह शब्द व्यक्ति के आचरण या चरित्र को सूचित करता है। व्यक्ति अपने विचारों के प्रभाव या भाव में आकर आचरण करता है। उस कार्य करने की प्रवृति को आचार समझ सकते है।
प्रचार (propaganda) -
समाज किसी व्यक्ति के जैसे आचरण होते है वह वैसा ही दुसरो को बनाने की कोशिश करता है, अर्थात हर व्यक्ति कही न कही अपने आचरणों का प्रचार अवश्य करता है। धार्मिक हमेशा धर्म अर्थात सत्य का प्रचार करता है, अधर्मी हमेशा सत्य को ढकने की कोशिश करता रहता है।
सदाचार (morality) -
यह शब्द सत्य आचरण को परिभाषित करता है। यह व्यक्ति को नैतिक और सामाजिक संबंधों में सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। सत्य आचरण करने वाला मनुष्य एक दिन स्वयं ईश्वर का एक रूप बन जाता है।
तो हम समझ सकते है कि इन शब्दों का एक सामान्य उपयोग के द्वारा किसी भी व्यक्ति के सामाजिक, नैतिक, और मानवीय विकास को सूचित करते हैं।
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