यहाँ दम्भ (Conceit) का अर्थ / दम्भी का अर्थ समझते है -
1. महत्व दिखाने या प्रयोजन सिद्ध करने के लिये झूठा आडंबर
2. धोखे में डालने के लिये ऊपरी दिखावट
दम्भ का अर्थ अंग्रेजी में - Conceit
दम्भ का अर्थ -
दम्भ का अर्थ है वास्तव में अधार्मिक होते हुए भी स्वयं को धार्मिक व्यक्ति के रूप में प्रकट करना। यह अत्यन्त मनुष्य का सबसे निम्न या गिरा हुआ का अवगुण है? जिसे पापी? दुराचारी लोग धारण करते हैं। इसे मिध्याचार भी कहते है।
ये मनुष्य अपनी अलग दुनियाँ में रहते है, इन्हे अगर कोई समझाने या सत्य दिखाने की कोशिश करते है तो वो इनको अपना दुश्मन समझने लगता है। ऐसा नहीं है की इन्हे धर्म का ज्ञान नहीं होता, इन्हे धर्म का ज्ञान होता है लेकिन फिर भी ये अधर्म का कार्य करते है।
दम्भ का उदाहरण -
जब किसी व्यक्ति ज्ञान होता है और ज्ञान के होते हुए भी मूर्खता पूर्ण कार्य करे उसे दम्भी कहा जाता है। दम्भ शब्द का प्रयोग राक्षस राजा रावण के लिया ज्यादा किया जाता है। क्युकी रावण चरित्र इस शब्द का उचित उदाहरण है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण एक बहुत ही दुष्ट राक्षस था। वस्तुतः वह सभी अवगुणों की खान था, वह यज्ञों में मांस फिंकवाता था, ऋषियों की हत्याएं करता था, स्त्रियों का बलात्कार जैसा दुष्कर्म करता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार वह एक राक्षस अर्थात नीच पुरुष था।
चूँकि रावण शिव भक्त था, ज्ञानी था लेकिन फिर भी वह कार्य अधर्म के ही करता था। रावण के प्रशंसक आज भी मिल जायेगे, ये लोग भी दम्भ को मानने वाले होते है।
आज के जीवन में दम्भ -
आज कलयुग में दम्भी लोग आपको घर घर मिल जायेगे जो सुबह मंदिर जाते है, तिलक लगाते है। परन्तु पूरा दिन उनका झूठ बोलने में जाता है, कुछ तो मांस, मंदिरा का भी सेवन करते है चुपके से। लेकिन समाज में ये अपने आप को बहुत बड़ा धर्मी बने फिरते है। हालाँकि समाज को इनके बारे में सब पता है लेकिन फिर भी ये लोग अपने ही मुँह से अपने धर्मी और अच्छे व्यक्ति होने का बखान करते थकते नहीं है। ऐसे लोगो के काल्पनिक आत्मसम्मान और अपनी महानता के स्वप्न ही इनके मित्र होते हैं।
हमारे वेद पुराणों में ऐसे लोगो को दम्भी या मिथ्याचारी कहा गया है। ये लोग विश्वासपात्र कम होते है। ये स्वार्थ को सबसे ज्यादा महत्त्व देते है।
दम्भी व्यक्ति कैसा दिखता है?
दम्भी व्यक्ति कभी भी सीधी चाल नहीं चलता। वह अपने हाथ पैरों को कुछ अधिक हिलाता हुआ, फैंकता हुआ, तना हुआ सा चलता है। इसे ही वक्र चाल कहते हैं। यह खुद को दूसरों से अलग दिखने का तरीका है।
श्रीमद भगवद गीता में दम्भ को आसुरी सम्पति कहा गया है।
दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।16.4।।
हे पार्थ ! दम्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध, कठोर वाणी (पारुष्य) और अज्ञान यह सब आसुरी सम्पदा है।।
Hypocrisy, pride, insolence, cruelty, ignorance belong to him who is born of the godless qualities.
इसलिए बच्चो आपको जितना भी सत्य या धर्म का ज्ञान है उसका पूरा पूरा पालन करना चाहिए। ज्ञान होते हुए भी गलत कार्य करना आपको दम्भी बना देगा। और आप समाज में एकाकी जीवन व्यतीत करेंगे। . आपके चित परिचित लोग आपका साथ छोड़ देंगे। या आप उन सभी को छोड़ देंगे।
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