घृणा मनुष्य की एक मनोभावना है। इसे मन या मस्तिष्क का दोष भी कह सकते है। घृणा की उत्पति मनुष्य की प्रवृति से पैदा होती है और मनुष्य में प्रवृति इस प्रकृति के तीन गुणों से बनती है। ये तीन गुण है।
- रजोगुण
- तमोगुण
- सतोगुण
हर मनुष्य में ये तीन गुण विद्यमान होते है। बस कोई गुण कम तो कोई ज्यादा होता है और उसी के हिसाब से उसकी प्रवृति बनती है। इसे हम ऐसे समझने की कोशिश करते है। पहले इन त्रिगुण को समझते है फिर मनुष्य में बनने वाली प्रवृति को।
रजोगुण -
रजोगुण की प्रधानता में उत्तेजना, विचार, इच्छाएं और वासनाएं बहुत बढ़ जाती हैं। बहुत कुछ करने की इच्छा होती है। हम या तो बहुत खुश या बहुत उदास होते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति की प्रवृति ज्यादातर नशे या बुरे कामों में लगने की बन जाती है। उसे बुरे कार्य करने से सुख मिलता है। इस गुण के कारण व्यक्ति में घृणा, वैमनस्यता, ईर्ष्या और द्वेष जैसे मनोभाव भी घर बना लेते है।
तमोगुण -
जब तमोगुण प्रधान होता है तो हम सुस्ती, आलस्य, प्रमादी और भ्रम के शिकार हो जाते हैं। कुछ का कुछ अर्थ लगाने लगते हैं। और व्यर्थ की चिंताए हमेशा घेर कर रखती है। सब कुछ होते हुए भी चिंतित रहता है। ऐसा व्यक्ति की प्रकृति हमेशा दुसरो की बुराई करने वाला और दुसरो पर भरोसा नहीं करने वाला होता है । यहाँ तक की अपनी संतान को भी हमेशा शंकित दृष्टि से देखता रहता है। ऐसे व्यक्ति को सदा भय लगा रहता है।
सतोगुण -
सतोगुण को सत्वगुण भी कहते है इस गुण की अधिकता होने पर व्यक्ति सरल, सीधा, सत्यभाषी और धार्मिक बन जाता है। ये दया के सागर अर्थात मदद करने वाले होते है। ये हमेशा हर प्रकार की स्थिति में प्रसन्न या सुखी होती है।
अब आप समझ सकते है की घृणा-अरुचि की भावनाएँ किन कारणों से विकसित होती हैं। इसके पीछे मनुष्य के अंदर गलत प्रवृति का पैदा होना और ये प्रवृतियाँ इन तीन गुणों के कम ज्यादा होने पर बनती और बिगड़ती रहती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर सतोगुण को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जहाँ घृणा होती है वहाँ दया का अभाव भी होता हैं।
सामान्य प्रश्न -
घृणा किसकी द्योतक है?
रजोगुण + तमोगुण के ज्यादा बढ़ने पर इंसान के अंदर घृणा पैदा होती है।
घृणा का विलोम शब्द क्या है?
सात्विक प्रेम – उसका व्यवहार ऐसा है कि उससे सभी प्रेम करने लगते है।
घृणा का विलोम शब्द क्या होगा?
घृणा = प्रेम
घृणा का पर्यायवाची शब्द क्या है?
घृणा का पर्यायवाची घिन, जुगुप्सा, अरुचि, कुत्सा, विराग, अप्रीति, चिढ़ विरक्ति, विमुखता, ऊब हो सकती है।
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