क्या आप जानते है की नेता शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा के "नय" धातु से बना है। जो ले जाने के अर्थ में प्रयुक्त होता है। अतः नेता शब्द का अभिप्राय ले जाने वाला निकाला गया और माना गया।
नेतृत्व करने की आवश्यकता मानव जीवन में कदम कदम पर पड़ती है। जैसे की घर में माता पिता घर का नेतृत्व करते है। स्कूल में प्रधानाध्यपक नेतृत्व करते है। और उसी स्कूल की कक्षा में अध्यापक नेतृत्व करते है। एवं उसी स्कूल के खेल के मैदान पर कप्तान टीम का नेतृत्व करता है।
मान लीजिये आपके माता पिता कही चले गए है तो उस घर में नेतृत्व आपका बड़ा भाई या बहिन करेगी। ठीक इसी प्रकार विद्यालय में प्रधानाध्यापक के न होने पर उप प्रधानाध्यपक उस स्कूल का नेतृत्व करते है। और कक्षा में अध्यापक के न आने पर उसी कक्षा का नेतृत्व कक्षा प्रमुख (मॉनिटर) करता है। कक्षा में मॉनिटर सिर्फ इसीलिए नियुक्त किया जाता है ताकि वो अन्य छात्रों की छोटी मोटी गति विधियां देखता रहे।
इससे आप समझ सकते है की नेतृत्व की आवश्यकता हर समय और हर जगह पर रहती है।
नेतृत्व का अर्थ -
नेतृत्व का अर्थ मार्गदर्शन भी होता है। अर्थात रास्ता दिखाना। लेकिन ध्यान रहे हर व्यक्ति में नेतृत्व का गुण नहीं होता है।
नेतृत्व की शिक्षा प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ एवं सुलभ स्थान कक्षा या खेल का मैदान ही हो सकता है। क्युकी कक्षा और खेल के मैदान से ही ये गुण किसी भी बालक में निखारे जा सकते है। बारी बारी से सभी को कक्षा प्रमुख या कप्तान बना कर उनके निर्णय और मार्गदर्शन करने की कला, चतुराई और साहस को देखा जा सकता है। किसी भी कठिनाई की परिस्तिथि में नेतृत्व करने वाले बच्चे का मतिष्क कोई न कोई मार्ग खोजने को विवश होगा जो उसमे नेतृत्व के गुण को निकाल कर बाहर प्रदर्शित करेगा।
कहते है नेतृत्व का ज्ञान प्राप्त करने के लिए खेल के मैदान से उचित स्थान नहीं हो सकता क्युकी खेल के मैदान में नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के ऊपर कई प्रकार की जिम्मेदारी होती है जैसे उनकी टीम में किसी भी प्रकार का वाद विवाद न हो। एकता बनी रही, और लक्ष्य से कोई भी भटके नहीं।
महान विजेता नेपोलियन को युद्ध में हराने वाले अंग्रेज सेनापति नेल्सन ने अपनी विजय का कारण कुछ इस प्रकार व्यक्त किया था। " वाटर लू के युद्ध में मैने जो विजय प्राप्त की है, उसका प्रशिक्षण मेने खेल के मैदान से लिया था।", अपने साथियो में कौन अच्छा खेलता है, कौन कम अच्छा प्रदर्शन करता है। और किस व्यक्ति की क्या खूबी हैु उसको उसी से सम्बंधित जिम्मेदारी देना, आदि सब कुछ खेल के मैंदान से था।
नेतृत्व का नाश -
नेतृत्व का पतन उसी समय से आरम्भ होना शुरू हो जाता है जैसे ही आप या कोई भी व्यक्ति अपने नेतृत्व पर घमंड करना शुरू कर देता है। गर्व या मद में लिप्त व्यक्ति उसी प्रकार नेतृत्व के गुण से क्षीण होता जाता है जैसे फूटे हुए घड़े से पानी का बहना। और अंत में एक दिन वो घड़ा खाली हो जाता है।
प्राय देखने में आता है की ज्यादातर नेतृत्व करने वालो को मद घेर लेता है जो आग में घी का काम करता है। फिर साथ साथ ही उसी व्यक्ति को यश और लोभ एक साथ घेर लेते है जो किसी भी व्यक्तित्व में कोढ़ के सामान होते है।
सही और बुरा नेतृत्व -
सही और बुरे नेतृत्व की पहचान करना परम आवश्यक है। क्युकी ऐसा जरुरी नहीं होता की जो व्यक्ति नेतृत्व करता है या कर रहा है वो अच्छा इंसान ही है। तो शुरुआत हम शुरू से करते है, उसी क्लास रूम से।
अगर कोई बालक जो क्लास का मॉनिटर है वही अपने साथ के छात्रों को फ़साने, झूठ, या ब्लैकबोर्ड पर किसी को चिढ़ाने के लिए कुछ कार्य कर रहा है तो निश्चित ही नेतृत्व गलत हाथो में जा रहा है।
फिर सही नेतृत्व की परिभाषा क्या होगी, सही नेतृत्व हमेशा अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ साथ दुसरो में भी नेतृत्व खोजने में व्यस्त रहता है। जिससे की उसकी कुछ जिम्मेदारी कम हो जाती है। और वो बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए अग्रसर हो जाता है। इसे ही सफल या सही नेतृत्व कहा जा सकता है।
सफल नेतृत्व का विशिष्ट गुण होता है की ज्यादा से ज्यादा नेतृत्व पैदा करे, अपनी जिम्मेदारी उनको पास करे. और खुद बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहे। ऐसा करने पर निश्चित ही किसी घर, स्कूल, समाज, शहर और देश का भला होता है।
नेतृत्व की मुख्य विशेषताएं -
आत्म विश्वास, समभाव, निष्पक्ष-दॄष्टि, सबको एक साथ ले चलने की अभिलाषा, मार्ग का यथार्थ ज्ञान ही सफल नेतृत्व की मुख्य विशेषताएं है।
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