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सबसे पहले रामायण किसने लिखी, सुनी और किसने सुनाई??

ये प्रश्न जितना कठिन है उतना ही इसका सरल उत्तर है. यहाँ में आपको विस्तार नहीं बल्कि जो प्रश्न है उसका सटीक और कम से कम शब्दो में उत्तर देना चाहूंगा. आपको लगता होगा की रामायण एक ही है ???
जबकि मेरे हिसाब से बहुत सारी रामायण है जिनको भिन्न भिन्न महापुरुषों द्वारा अनुवाद या लिखा गया है. जैसे एक रामायण महर्षि वाल्मीकि ने लिखी है, दूसरी रामायण स्वामी तुलसीदास ने लिखी है, संस्कृत में भी कालिदास ने रघुवंश की रचना की, उसी प्रकार जैन, बोद्ध, सिख और नेपाली में रामायण के अलग अलग रचनाये मिलती है

रामायण के प्रकार -

अध्यात्म रामायण -

आध्यात्मिक रामायण को ब्रह्माण्ड पुराण से निकाला गया है, ब्रह्माण्ड पुराण को श्री वेदव्यास द्वारा अवतरित किया गया है। अतः आध्यात्मिक रामायण के लेखक व्यास जी हुए। अध्यातम रामायण कहानी को श्री राम को श्री नारायण के अवतार रूप श्रीराम के दिव्यता के दृष्टिकोण से बताती है। यह वाल्मीकि के समानांतर सात कांडों में संगठित है।

वाल्मीकि रामायण -

वाल्मीकि रामायण श्री राजा राम के चरित्र के साथ साथ उस समय का घटनाक्रम को काव्य के रूप में गाया गया है।  श्रीराम का चरित्र और विवेक के साथ साथ रामराज्य के बारे में श्लोक के रूप में काव्य में गाया गया है। 

वशिष्ठ रामायण -

यह आमतौर पर योग वशिष्ठ के रूप में जाना जाता है) यह मुख्य रूप से वशिष्ठ और राम के बीच एक संवाद है जिसमें वशिष्ठ अद्वैत वेदांत के कई सिद्धांत सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हैं। इसमें कई उपाख्यान और दृष्टांत कहानियां शामिल हैं . गुरु वशिष्ठ जी ब्रह्म ऋषि है जो श्री राम से बातचीत करने पर इतने आश्चर्य चकित हुए कि कुछ मिनट तक शांत बैठे रह गए कि चौदह वर्ष के बालक में इतना विवेक कैसे हो सकता है। 

दशग्रीव राक्षस चरित्रम वधम -

दशग्रीव राक्षस चरित्रम वधम (लगभग 6 वीं शताब्दी सीई) कोलकाता की इस पांडुलिपि में पांच कांड हैं: बालकंद और उत्तराखंड गायब हैं। 

आनंद रामायण -

आनंद रामायण का स्रोत भी भगवान् वाल्मीकि द्वारा माना जाता है हालांकि यह श्रीराम के जीवन के नंददायक क्षणों के बारे में वर्णन है।  इसमें रावण द्वारा सीता का अपहरण और राम द्वारा रामेश्वरम में शिव लिंगम की स्थापना शामिल है। जिसमे हनुमान जी की पूंछ भी टूट जाती है। 

अगस्त्य रामायण -

अगस्त्य रामायण का उद्गम श्री अगस्त्य मुनि के द्वारा माना जाता है। 


अद्भूत रामायण -

अद्भूत रामायण का उद्गम भी वाल्मीकि रामायण या भगवान्  वाल्मीकि द्वारा जाना जाता है। इसमें माता सीता का विस्तार से वर्णन है। कि कैसे माता सीता ने काली मां का रूप धारण करके दशानन रावण के भाई सहस्त्रानन रावण का वध किया था।  

रामायण की कहानी को अन्य संस्कृत ग्रंथों में भी वर्णित किया गया है, जिनमें शामिल हैं: महाभारत (वन पर्व के रामोख्यान पर्व में); विष्णु पुराण के साथ-साथ अग्नि पुराण में भी मिलती है। 

रामायण सबसे पहले किसने लिखी ?

ये बात भारत के 99% लोग जानते है की रामायण महर्षि वाल्मीकि ने सबसे पहले लिखी. आइये जानते है की कौन है महर्षि वाल्मीकि??

महर्षि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त है। वह संस्कृत भाषा के आदि कवि और सत्य सनातन धर्म ((आज कल ये हिन्दू में सिमट गया है ) के आदि काव्य 'रामायण' के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण (आदित्य) से इनका जन्म हुआ। इनकी माता चर्षणी और भाई भृगु थे। वरुण का एक नाम प्रचेत भी है, इसलिए इन्हें प्राचेतस् नाम से उल्लेखित किया जाता है। उपनिषद के विवरण के अनुसार यह भी अपने भाई भृगु की भांति परम ज्ञानी थे।

महर्षि वाल्मीकी का जीवन चरित्र : - 

एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पूर्व वाल्मीकि रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे तथा परिवार के पालन हेतु लोगों को लूटा करते थे। 
एक बार उन्हें निर्जन वन में नारद मुनि मिले, तो रत्नाकर ने उन्हें लूटने का प्रयास किया। 
तब नारद जी ने रत्नाकर से पूछा कि- तुम यह नीच कार्य किसलिए करते हो?
इस पर रत्नाकर ने जवाब दिया कि अपने परिवार को पालने के लिए।

इस पर नारद ने प्रश्न किया कि तुम जो भी अपराध करते हो और जिस परिवार के पालन के लिए तुम इतने अपराध करते हो, क्या वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार होंगे?
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए रत्नाकर, नारद को पेड़ से बांधकर अपने घर गए। 
वहां जाकर उन्होंने बारी बारी से पत्नी, माता पिता आदि से पूछा की क्या तुम मेरे पाप में भागिदार बनोगे ? 
वह यह जानकर स्तब्ध रह गए कि परिवार का कोई भी व्यक्ति उसके पाप का भागीदार बनने को तैयार नहीं है।

लौटकर उन्होंने नारद के चरण पकड़ लिए।

तब नारद मुनि ने कहा कि- हे रत्नाकर, यदि तुम्हारे परिवार वाले इस कार्य में तुम्हारे भागीदार नहीं बनना चाहते, तो फिर क्यों उनके लिए यह पाप करते हो? 
इस तरह नारद जी ने इन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया था, परंतु वह 'राम' नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे। तब नारद जी ने विचार करके उनसे मरा-मरा जपने के लिए कहा और मरा रटते-रटते यही 'राम' हो गया और निरंतर जप करते-करते, ध्यान में बैठे हुए वरुण-पुत्र के शरीर को दीमकों ने अपना घर बनाकर ढंक लिया था। साधना पूरी करके जब यह दीमकों के घर (जिसे वाल्मीकि कहते हैं) से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे।  और वह ऋषि वाल्मीकि बन गए।


महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य का पहला श्लोक कैसे लिखा??

एक बार महर्षि वाल्मीकि नदी के किनारे क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे, वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था। तभी एक व्याध ने क्रौंच पक्षी के एक जोड़े में से एक को मार दिया। नर पक्षी की मृत्यु से व्यथित मादा पक्षी विलाप करने लगी।

उसके इस विलाप को सुन कर वाल्मीकि के मुख से खुद ही

मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। 
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्।। 

नामक श्लोक फूट पड़ा और यही महाकाव्य रामायण का आधार बना। 
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पावन ग्रंथ रामायण में प्रेम, त्याग, तप व यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सद्‍मार्ग पर चलने की राह दिखाई।

सर्वप्रथम रामायण किसने सुनी और रामायण को किसने सुनाया ?


क्या नारद ऋषि ने सबसे पहले रामायण वाल्मीकि को सुनाई??

जैसा की आप जानते है इस दुनिया सारा ज्ञान शिव जी के मुख से सुनाया गया है, जो की उन्होंने माता सती और पार्वती को सुनाया है, 
तो सबसे पहले -
  • श्री रामायण का वर्णन शिव जी ने माता पार्वती से किया है
  • और उसे श्री काकभुशुण्डि (काकभुशंडी) (कौआ) द्वारा सुना गया था
  • उसके बाद श्री नारद ने श्री काकभुसुंडि से सुना 
  • और श्रीनारद जी ने रामायण कथा को वाल्मीकि को सुनाई थी जिसे सुनकर उनका  ह्रदय परिवर्तन हुआ था. और उस रामायण कथा को काव्य में महर्षि वाल्मीकि ने लिखा. कहते है जब सीता जी अपने पुत्रो (लव-कुश) के साथ उनके आश्रम में रहती थी तो उन्हें (वाल्मीकि) पहले से ही होने वाली घटनाओ के बारे में पता था. नारद मुनि से उल्टा नाम मरा अर्थात राम नाम की ज्ञान प्राप्ति के बाद वो तपस्यारत हो गए, कि उनके ऊपर दीमक से वाल्मी बन गयी। जिसके कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। वाल्मीकि की अपने ही रामायण अर्थात संस्कृत रामायण में उन्होंने एक घटना का वर्णन करते हुए लिखा कि - 
एक बार महर्षि तमसा नदी के तट के किनारे स्नान के लिए गए हुए थे  उन्होंने देखा कि एक बहेलिये ने कामरत क्रौंच (सारस) पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया और मादा पक्षी विलाप करने लगी| उसके इस विलाप को सुन कर वाल्मीकि भगवान्की  करुणा जाग उठी और द्रवित अवस्था में उनके मुख से स्वतः ही यह श्लोक फूट पड़ाः
      मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
          यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्।।'
              (अरे बहेलिये, तूने काममोहित मैथुनरत क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी|)
                  फिर उन्होंने अपने मन के श्राप पर विचार किया। और सोचा मेने इस श्लोक को कितने लयबद्द होकर बोला है। और फिर श्री हरि के सबसे प्रिय भक्त श्री नारद जी आ जाते है और उन्हें श्रीराम की कथा सुनाते है। 
                    इस दौरान वो श्री राम से भी मिलते है। श्री राम के पुत्रो  लव और कुश का पालन भी  श्री वाल्मीकि जी के आश्रम मैं ही हुआ था। 

                    वाल्मीकि जी ने दोनों पुत्रो को अपनी संस्कृत रामायण को लयबद्द तरीके में सुनाया। जिसे बाद में दोनों पुत्रो ने गाकर अपने पिता श्री राम को सुनाया था। 
                    • उससे पहले जब श्री हनुमान जी लंका में अशोक वाटिका में वृक्ष के ऊपर बैठे थे और नीचे माता सीता थी तो उनको अपना परिचय देने के लिए उन्होंने पूरी राम कहानी एक भजन के रूप में सुनाई, लेकिन वो रामायण श्री राम जन्म से लेकर वही तक थी जहाँ तक उन्होंने खुद लंका में प्रवेश किया था और फिर वृक्ष के ऊपर बैठे थे। जिसे सुनकर माता सीता को विश्वास हुआ। 
                    • फिर श्री राम के पुत्रो श्री लव श्री कुश ने इसी रामायण को अपने पिता श्री राम को सुनाया था। 

                    कृपया ध्यान दे

                    गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने रामायण को संस्कृत से अवधि भाषा में लिखा था

                    ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता.’ तुलसी बाबा तो पहले ही कह गए हैं. हरि अनंत हैं. उनकी कथाएं भी अनंत हैं. इन कथाओं को संत लोग बहुत-बहुत  तरह से कहते-सुनते हैं.

                    सनातन धर्म ही सत्य है और सत्य ही सनातन है। जिसका एक उदहारण इस प्रकार है। 

                    विष्णु पुराण में सभी नौ ग्रहो, सूर्य , चंद्र आदि का वर्णन मिलता है, उनकी दूरी भी योजन में बताई गयी है। और उनका आकर भी बताया गया है, जिसमे बृहस्पति गृह जो की देवताओं के गुरु को सबसे बड़ा बताया गया है। नौ ग्रह, जिन्हे नवग्रह भी कहा जाता है।

                    सबसे बड़ा ग्रह वृहस्पति ही क्यों है? ऐसा क्यों नहीं हुआ की कोई दूसरा गृह बड़ा होता?

                    उस समय न रॉकेट था न सॅटॅलाइट तो ये सत्य कहाँ से हमारे ऋषियों को प्राप्त हुआ? 

                    इसे आप विष्णुपुराण के द्वारा जरूर जाने। जिसमे समस्त सृष्टि का वर्णन मिलता है। 


                    सबसे पहले रामायण महाकाव्य किसने लिखी, किसने सुनी और किसने सुनाई??


                    नोट: यह जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के अनुसार है। सही जानकारी के लिए श्री रामायण का हिंदी अनुवाद अवश्य पढ़े। 

                    प्रेम से बोलिये श्री वाल्मीकि भगवान् की जय, श्री राम की जय, श्री राम  के दुलारे उनके प्यारे भक्त श्री हनुमान जी की जय। माता सीता की जय, लक्ष्मण महाराज की जय, भक्तों के राजा भरत की जय, शत्रु दमन श्री शत्रुघ्न महाराज की जय। सम्पूर्ण रामायण की जय। 

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                    11 टिप्पणियाँ

                    1. सर्व प्रथम रामायण को हिंदी में किसने और कब लिखा ??

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                      1. रामायण को हिंदी में लिखा ही नहीं गया, बल्कि उसे हिंदी में अनुवाद किया गया है, रामायण तो काव्य है मतलब कविता. हिंदी अनुवाद में उसे कहानी के रूप में बताने का प्रयास किया गया ताकि लोगो को आसानी से समझ में आ सके. और ये सब अंग्रेजो के समय में हुआ क्युकी वो खुद इन काव्यों को समझना चाहते थे, इसलिए पहले इसे इंग्लिश में अनुवादित किया गया फिर इंग्लिश से हिंदी अनुवाद किया गया. आपने भी देखा होगा की बड़े-बूढ़े लोग चोपाई के जरिये ही रामायण को बताते और समझाते थे. :-)

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                    2. Ramayan ki Rachana mahrshi valmiki ne Ramayan ghatna se pehle Kiya ya bad me??

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                    3. Kya ramayan vaidik period ki hai

                      Or Shri ram ji Jo hai wo bhi vaidik kaal mai hi aaye the Kya???


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                    4. Bhai vedo ke gyan me kya science hai kya ????????

                      Mujhe to lagata hai ki hamare desh ke mahan rishiyon ne pura vigyan vedo me kah diya per unhe samajhane me dikkat ho rahi hai .
                      Kyon ki vah sanskrit me like hai.

                      Aap ka kya kahna hai.
                      Please reply jarur dena bhai .

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                    5. Ramayan ki rachna 600 BC k pass mani jati hai... to fir ye kaise ho sakta hai ki balmiki ji sri ram k time the kahe ki sri ram to lagbhag paune 2 lakh year pahle the.. aur balmiki unhi k time the to kya balmiki ji rachna lakho saal baad kiya aur kya ve itne din tk jeevit the

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                      1. Mujhe ye lagta h k....Ramayan ke rachna se pehle ye logo ko maukhik roop se yaad thi...maharishi Valmiki ji ne...uss katha ko likhit roop de diya ...iss Se pehle ye rachna likhit me nhi thi...iss karan se RAMAYAN ke pehle likhit kavi maharishi Valmiki hue ( mai sochta hu )

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                    6. Muze lagta hai ki ye jo bhi hai sab vichalit dikhta hai isme to aisa kuchh dikhta nhi kyuki ye likhi hui hai Yani kalpanik hai sab

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