ज्ञान का अर्थ किसी विषय वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त होना ही मात्र नहीं है। बल्कि उसी विषय या वस्तु के बारे में जानकारी के साथ-साथ वास्तविकता से भी परिचित होना भी होता है।
इसे समझने के लिए आपको कुछ उदाहरण समझने होंगे।
पहला उदाहरण - मृग मरीचिका
मृग मरीचिका से आप अच्छी तरह परिचित होंगे नहीं पता तो बता देते है की मृग मरीचिका अर्थात गर्मियों के दिनों में आपको लम्बी रोड पर पानी भरा हुआ सा प्रतीत होता है।
राजस्थान के रेत में गर्मियों में दूर से रेत का टीला या रेतला गड्ढा भी तालाब दिखाई देता है।
अगर आपको मृग मरीचिका के बारे में पता है तो आप भ्रमित नहीं होंगे। लेकिन अगर आपने मृग मरीचिका के बारे में नहीं पढ़ा और न ही पता है तो आप इससे भ्रमित होकर अपना जीवन संकट में डाल लेते है। मृग मरीचिका के बारे में नहीं में, पता नहीं होना ही अज्ञान है।
कुछ ज्ञानी लोग अर्थात हमारे पूर्वज मृग मरीचिका के बारे में अध्ययन करके अपने बच्चो को बताकर जीवन त्यागते है। ताकि इससे आने वाली पीढ़ी भ्रमित न होकर कुछ अन्य वैज्ञानिक खोज कर सके।
दूसरा उदाहरण - सत्य का ज्ञान और पूर्वानुमान
मान लीजिये आप किसी पथ से कही आ या जा रहे है और बीच रास्ते में एक लम्बा सा आपको सर्प दिख जाए तो आप क्या करेंगे। आप ध्यान से देखेंगे, दिमाग की सुनेगे या दोनों चीज़े छोड़कर भाग खड़े होंगे, ये आपके पूर्वानुमान पर निर्भर करता है।
लेकिन जब आपको ज्ञान होता है कि उस रास्ते पर मिलने वाला सर्प, एक सर्प नहीं बल्कि उसके आकार के समान काली रस्सी है तब आप क्या करेंगे ? निसंदेह आप बिना किसी संकोच अपने उसी मार्ग पर शांत भाव से बढ़ते रहेंगे। इस प्रकार से आप ज्ञान को धारण करते हुए अपने मार्ग पर बढ़ते चले जाते है। यह सत्य का ज्ञान प्राप्त हो जाने वाली स्थिति होती है।
भारत में हज़ारो वर्षो से सिर्फ सत्य या ज्ञान की खोज ही वैज्ञानिक आधार रहा है। गुरु परम्परा से यह ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थान्तरित होता है। गुरु का वास्तविक अनुभव, उनके शिष्यों के लिए बौद्धिक ज्ञान होता है। शिष्य अपने गुरु के वास्तविक अनुभव को सुनकर उस पर अध्ययन, मनन और चिंतन करते है।
ज्ञान उत्पत्ति में दो प्रमुख पक्ष होते हैं - ज्ञाता और ज्ञेय। जब शिष्य गुरु के वास्तविक अनुभव अर्थात् ज्ञातव्यों से परिचित हो जाता है तो ज्ञान की उत्पत्ति होती है।
ज्ञान को किसी परिभाषा के अन्तर्गत सीमित नहीं किया जा सकता, यह ब्रह्माण्ड की तरह अनंत है।
सरल भाषा में - व्यक्ति की आयु बीत जाती है लेकिन पूरी तरह से ज्ञानी नहीं कहा जा सकता। आज की तकनीक और वैज्ञानिको के लिए भी ब्रह्मांड के कई रहस्य आज भी रहस्य ही है।
NOTE - ज्ञान को समझाने का हमने सरल से सरल तरीका अपनाया है
0 टिप्पणियाँ