वैचारिक असहमति शत्रुता या वैमनस्य नहीं लेकिन हमेशा या झूठा विरोध प्रपंच हो सकता है।
Ideological disagreement may not be enmity or animosity but always or false opposition.
विरोध और असहमति दोनों एक से प्रतीत होते है लेकिन बहुत बड़ा अंतर है। हमें दोनों का अंतर पता होना चाहिए। ये अंतर निम्न है -
- विरोध करने वाला व्यक्ति प्रपंच का सहारा (झूठ) ले सकता है जबकि असहमत होने वाला व्यक्ति प्रपंच का सहारा (झूठ) नहीं लेता।
- विरोध करने वाला व्यक्ति ज्यादातर राजनैतिक, वैचारिक या सामाजिक रूप से द्वेष रखता है। जबकि असहमत व्यक्ति वैचारिक या सामाजिक रूप से द्वेष नहीं करता
- विरोध करने वाला व्यक्ति आपसे घृणा कर सकता है। जबकि असहमत व्यक्ति ऐसा नहीं करता वो आपका मित्र या परिवार का हिस्सा भी हो सकता है।
- विरोधी मनुष्य क्रोध के वश में रहता है जबकि असहमत व्यक्ति शांत और सरल होता है।
- विरोधी हमेशा आपके विपक्ष में होता है अर्थात आपके पक्ष में नहीं होता। जबकि असहमत व्यक्ति आपके पक्ष और विपक्ष दोनों में हो सकता है।
- असहमति में तर्क-वितर्क की संभावना होती है लेकिन विरोधी कुतर्क का सहारा ले सकता है।
देश विरोधी का विरोध करना सही है -
उदाहरण - किसी मैच में पाकिस्तान के जीतने पर यहाँ भारत में पटाखे फोड़ना या पाकिस्तान, बांग्लादेश के नारे लगाने वालो का विरोध करना।
अन्याय का विरोध करना सही है -
उदाहरण - गरीब सवर्ण को उसकी जाति को देखते हुए कोई सरकारी मदद न मिलना।
धर्म परिवर्तन का विरोध सही है -
उदाहरण - सीधे साधे गांव वासियो को लालच, लोभ, या डर से धर्म बदलवाने वालो का विरोध । इसका उपयोग किसी देश में सांस्कृतिक और सामजिक फूट डालने के लिए होता है।
अगर आप इस जानकारी से असहमत या विरोध में है तो कमेंट के माध्यम से जरूर बताये ताकि इस जानकारी को और बेहतर कर सके। इसमें सुधार की संभावना है।
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