गुरु वशिष्ठ ने जब श्रीराम से मिले और वार्तालाप की तो उन्हें पता चला राम के अंदर विलक्षण विवेक है उनमे विवेक अन्य किसी मनुष्य की तुलना में बहुत ज्यादा और समय से पहले है। राम के विवेक को देखकर ही उन्होंने राम को उपदेश दिया जिसे योग वशिष्ठ कहते है। योग वशिष्ठ को वही समझ सकता है जिसके अंदर विवेक है, पर यह भी सत्य है की योग वशिष्ठ के बार बार अध्ययन से पत्त्थर ह्रदय मनुष्य में भी विवेक पैदा हो सकता है। अगर विश्वाश नहीं है तो एक बार पढ़ कर और उसे समझकर प्रयत्न कर ले।
Image Courtesy - फोटो के लिए आभार - श्री गीताप्रेस गोरखपुर
मनुष्य को विवेक की प्राप्ति कब होती है?
मनुष्य में विवेक कभी कभी पैदा होने के साथ ही उनको प्रभु दे देते है, आपने देखा होगा कि -
- कुछ बच्चे उम्र में छोटे है लेकिन काफी समझदार होते है। लेकिन उस उम्र में सभी समझदार हो ये जरुरी नहीं। अर्थात विवेक अगर होता भी है तो कम / ज्यादा मात्रा में।
- कुछ बच्चो को विवेक की प्राप्ति स्कूल के दौरान प्राप्त होता है तो किसी को कॉलेज के समय। कुछ लोगो में विवेक विवाह से पहले आता है तो कुछ को बाद में।
- कुछ लोगो में विवेक बच्चे होने पर आता है तो कुछ लोगो को बच्चो की शादी होने पर।
- कुछ लोगो को विवेक तब आता है जब बच्चों पर निर्भर होकर जीते है तो कुछ लोगो को मरने तक विवेक की प्राप्ति नहीं होती।
बिनु सत्संग विवेक न होई।रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।
विवेक (Conscience) क्या होता है?
आप सोच रहे होंगे की आखिर विवेक क्या होता है? विवेक का अर्थ है निस्वार्थ भाव से सत्य और असत्य को समझने की बुद्धि । सद् और असद् के पहचान की क्षमता ही विवेक है।
Viveka means the intelligence to understand truth and untruth selflessly. Conscience is the ability to identify good and bad.
विवेक का महत्त्व -
जिस व्यक्ति में विवेक होता है वह धार्मिक अर्थात धर्म पर चलने वाला होता है, जिसका एक उदाहरण महाभारत में महाराज युद्धिष्ठिर से लिया जा सकता है, जो धर्म के अवतार थे।
विवेक किसे प्राप्त होता है?
विवेक की प्राप्ति का होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। सर्वश्रेष्ठ विवेक की प्राप्ति सिर्फ भगवान् पर विश्वास करके ही प्राप्त हो सकता है। अगर आपका बच्चा अपनी उम्र से ज्यादा समझदार है तो समझो उस पर ईश्वर की विशेष कृपा है। ऐसा व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शक भी बनता है।
बिनु सत्संग विवेक न होई।रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।
विवेक न होने की पहचान -
- अपने मष्तिष्क अर्थात बुद्धि से उचित निर्णय न ले पाना
- अगर कोई निर्णय ले भी लिया है तो उस पर पूर्ण विश्वास न होना।
- हमेशा मज़ाकिया अंदाज़ या मज़ाकिया चरित्र के रूप में जीना
- या हमेशा चिढ़े हुए चरित्र के रूप में जीना
- जीवन का अर्थ न पता होना या अपने लक्ष्य से भ्रमित होना
विवेक होने की पहचान -
- चित्त का एक दम शांत पानी की तरह शांत रहना।
- अच्छे से अच्छे और बुरे से बुरे समय में भी शांत रहना।
- निस्वार्थ भाव से सत्य और असत्य को ध्यान में रखकर ही निर्णय लेना।
- विवेकशील व्यक्ति संसार में उसी प्रकार गृहस्थ आश्रम में रहता है जैसे कीचड में कमल। इन्हे अपने जीवन का लक्ष्य पता रहता है।
- संसार में रहकर भी योगी जैसा सुखी जीवन जीता है। पूर्ण मानव धर्म का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करता है। फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर।
शब्दों का अर्थ -
विवेक का अर्थ = निस्वार्थ भाव से सत्य और असत्य को अपनी बुद्धि से समझना।
निस्वार्थ का अर्थ = बिना किसी स्वयं के स्वार्थ अर्थात फायदे के।
सत्य का अर्थ = सच (धर्म )
असत्य का अर्थात झूठ (अधर्म )
विवेकशील = जो विवेक को धारण करता हो।
उदाहरण के लिए - अगर आप हमेशा या ज्यादातर सच बोलते है तो आप धर्म के पथ पर है। अगर आप जीवन में झूठ का सहारा लेते है तो आप अधर्म के रास्ते पर है।
इसलिए भगवान् श्री राम को पुरुषोत्तम कहा जाता है। यहाँ पुरुषोत्तम का अर्थ जो पुरुषों में उत्तम है।
हिंदी कहानी - विवेक का चश्मा
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