भ्रम क्या होता है?
भ्रम एक मानसिक स्थिति है जो की अज्ञानता के कारण उत्पन्न होती है। जैसे की अगर आपको मृग मरीचका का ज्ञान नहीं है तो आप गर्मी के समय रोड, हाइवेज पर पानी के चित्र को वास्तिविक समझ लेते है। तो रुक जाते है। लेकिन अगर ज्ञान है तो आपको फर्क नहीं पड़ता और आप गाडी चलाते रहते है।
या
अगर रास्ते में पड़ी हुयी सर्प की आकृति के बारे में पहले से पता है की वह सर्प नहीं है तो आप बिना भय के निकल जाते है।
अर्थात सर्प के बारे में ज्ञान या मृग मरीचका के सत्य के ज्ञान से परिचित होने के कारण आपको भ्रम नहीं होता है ।
तो फिर छल क्या होता है?
जब किसी मनुष्य की मन या बुद्धि वास्तविकता या सत्य को न देख पाए तो उसे छल कहते है। छल का शिकार होने में सबसे बड़ा कारण भ्रम होता है। जो अज्ञान के कारण उपजता है।
छल का उपयोग देवता व् राक्षस दोनों करते है। बस इसका उपयोग निस्वार्थ और धर्म के लिए देवता तो राक्षस अधर्म व् स्वार्थ के लिए करते है।
भ्रम और छल में क्या अंतर होता है?
भ्रम, अज्ञानता के कारण स्वयं प्रकट उत्पन्न होता है। इससे व्यक्ति अपनी ही दुनियाँ में रहता है। अपने सत्य को सत्य मानता है।
छल, भ्रम के कारण होता है, जो किसी दूसरे के द्वारा स्वार्थ के लिए उस विशेष स्तिथि में डालने के लिए होता है। इसका उपयोग बहरूपियाँ सबसे ज्यादा करते है।
नोट - यह जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों के माध्यम से है। सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकते। यह लेखक का अपना अनुभव हो सकता है।
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