How can children stop themselves from spoiling themselves?
जब आप किशोरावस्था या युवावस्था में प्रवेश करते है तब आपको इस बात का ध्यान रखना होगा की हर व्यक्ति की सोच, और संस्कार एक समान नहीं होते। आपको उन व्यक्तियों या दोस्तों से सावधान रहना होगा जो आपके जैसे नहीं है। ये वे लोग होते है जो आपके अंदर आपके माता पिता के संस्कार को एक पल में नष्ट कर देते है। ये बिलकुल संभव है की जिन संस्कारो को आपके माता पिता ने पूरी ज़िंदगी लगा दी आपके अंदर भरने में, और जैसे ही कोई अधर्मी व्यक्ति या दोस्त मिलता है वो एक पल में नष्ट कर देता है।
विधर्मी क्या करेगा इसे समझे -
- चल यार चिकन मोमोज खाते है (शनिवार, सोमवार या मंगलवार को आपसे कहेगा)
- एक बियर पिलाता हु तेरी टेंशन दूर हो जाएगी।
- अबे ये क्या सुना तेरे बारे में? तेरे पास कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तू तो कलंक है यार तुझे कोई घास नहीं डालता। मुझे देख में सुबह किसी और के साथ और शाम को किसी और के साथ। अपने पैसे खर्च नहीं बल्कि उनसे पैसे खर्च करवाता हु।
- ले एक सुट्टा मार।
- यार गांजा तो तेरे शिव जी भी पीते है
- यार भांग तो प्रसाद है फिर भी ?
आदि आदि बाते करेंगे।
आपको जवाब देकर वहां से हटना है। की आप जो है वो सबसे अच्छे है। रही बात गांजा भांग की तो पुराणों में, मेने कही पढ़ा लिखा देखा नहीं। आप उनसे कहना की शिव जी ने तो विष भी पिया था सृष्टि कल्याण के लिए। क्या तुम उससे शुरुआत करोगे? देखना वो सर पर पैर रखकर भागेगा।
यहाँ आपको एक और उदाहरण से समझाना होगा।
आप दूध के दो गिलास ले एक गिलास में आप गुड़ मिलाइये और दूसरे में नीबू की एक बूंद।
तो आपको पता चलेगा की गुड़ मिलाने वाला दूध पहले से मीठा हो गया है। ये साधुओं का संग या भले लोगो का संग होता है जो आपके चरित्र को और भी ज्यादा मीठा कर देते है।
तो वही नीबू वाला गिलास दूध को नष्ट कर देता है। उस गिलास का दूध कितना भी शक्तिशाली हो वो केवल एक बूँद से अपनी पहचान खो देता है ठीक वैसे ही एक अधर्मी दोस्त मिलने से सिर्फ एक बार की मुलाकात में ही आपके सारे गुण नष्ट कर देता है।
इसलिए ऐसे अधर्मी दोस्तों की तरफ बिलकुल न झुके या मिले जो आपको पहली बार सिगरेट, मांस, या शराब पीने के लिए प्रेरित करते है। अगर कोई मिल भी जाता है तो आप उस जगह से अपने आप को दूर रखने की कोशिश करे। क्युकी आपके संस्कार, आपके माता पिता की आकांक्षा एक पल में मिट जाएगी।
ऐसे दोस्तों में देखा जाता है की पहली बार आपको वो सारी चीज़े मुफ्त में खिलाते पिलाते है, सुन्दर लड़कियों से दोस्ती करवाने का लालच दिखाते है। लेकिन बाद आप अपनी शुरुआत की कमाई उनकी पार्टी, मौजमस्ती में उड़ाने लगते है।
जब आपके माता पिता को पता चलता है तो वो आप पर विश्वास करना बंद कर देते है जिसकी कीमत जिंदगी भर किस्तों में चुकानी पड़ती रहती है। आप जैसे जैसे युवावस्था कि सीढ़ी पर आगे बढ़ते है आप अपने लक्ष्य से भटक चुके होते है। ठीक वैसे ही जैसे नीबू डला हुआ दूध अपनी पहचान खो देता है।
पहचान खोने के बाद आपके माता पिता के साथ साथ आपके रिश्तेदार भी आपसे दूर होते जाते है। आप अपने प्रियजनों को विस्वाश भी खो देते है। ये विधर्मियो की चाल होती है, जो देश को तोड़ने में लगे हुए है।
आप सनातनी दूध थे और बने रहे। नहीं तो आप थोड़ा धर्म से भटकेंगे तो आपके बच्चे आपसे ज्यादा भटक कर धर्म परिवर्तन ही कर लेंगे, और वो भी देश को तोड़ने में लग जायेगे। विधर्मियो से सावधान रहे।
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