Humility - Those who do not bow down definitely break.
भीष्म और युद्धिष्ठिर संवाद हमें भीष्मस्वर्गारोहण पर्व में मिलता है, जिसे भीष्म नीति के नाम से जाना जाता है। इसमें केवल 2 अध्याय (167 और 168) हैं। इसमें भीष्म के पास युधिष्ठिर का जाना, युधिष्ठिर की भीष्म से बात, भीष्म का प्राण-त्याग, युधिष्ठिर द्वारा उनका अंतिम संस्कार किए जाने का वर्णन है।
जब पितामह भीष्म बाणों की शैया पर लेते हुए थे, एक दिन श्रीकृष्ण ने सभी पांडवों को भीष्म पितामह से राजधर्म का ज्ञान लेने की सलाह दी। तब युधिष्ठिर उनसे मिलने आए। युधिष्ठिर बहुत दुखी एवं शर्मिंदा थे। अपने पितामह की हालत का जिम्मेदार खुद को मानकर अत्यंत ग्लानि महसूस कर रहे थे। उनकी यह स्थिती देख पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को अपने समीप बुलाकर पूछा– हे पुत्र! तुम इतना दुखी क्यूं हो क्या तुम मेरी इस स्थिती का उत्तरदायी खुद को समझ रहे हो क्या? तब पांडवो ने नम आंखों के साथ हां में उत्तर दिया। जिसे देखकर भीष्म पितामह मुस्कराये।
तभी श्रीकृष्ण के आग्रह पर भीष्म पितामह ने सभी पांडवों को ज्ञान की बहुत सारी बातें समझाई थीं। उनमें से एक बात ये थी कि विनम्रता बड़े और समर्थ लोगों के लिए आभूषण की तरह होती है। एक लक्षण होता है दब जाना और दूसरा लक्षण है झुक जाना, डर की वजह से या किसी मजबूरी की वजह से। विनम्रता इन दोनों लक्षणों से ऊपर होती है। लेकिन मनुष्य का अहंकार हमेशा विनम्रता को नीचे रखता है और किसी से न दबना और झुकना ही समझाता रहता है। विनम्रता मनुष्य की स्वेच्छा से एक सदाचार की तरह है। बिना ज्ञान के विनम्रता नहीं आती है।
ये समझाने के लिए भीष्म ने कहा, 'नदी जब समुद्र तक पहुंचती है तो अपने बहाव के साथ वह कई बड़े-बड़े वृक्ष और उनकी शाखाएं लेकर आती है। एक दिन समुद्र ने नदी से पूछा कि तुम अपने साथ छोटे पौधे और छोटे वृक्षों को बहाकर क्यों नहीं लाती हो? सिर्फ बड़े-बड़े पेड़ ही होते है?
नदी ने जवाब दिया कि जब में पूरे वेग से बहती हूं तो छोटे पौधे और छोटे पेड़ झुक जाते हैं, मुझे रास्ता दे देते हैं तो वे बच जाते हैं। जबकि बड़े-बड़े पेड़ झुकते नहीं, अड़ जाते हैं तो टूट जाते हैं और मैं इन्हें बहाकर ले आती हूं।'
भीष्म पितामह ने इस उदाहरण की मदद से बताया है कि मनुष्य के जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियां आती हैं। उस समय विनम्रता शस्त्र और कवच की तरह काम करती है। विनम्र व्यक्ति झुककर दुनिया में कई काम कर सकता है। जबकि अकड़ की वजह से नुकसान ही होते हैं।
जैसे की विनम्रता न होने पर व्यक्ति को अहंकार होता है, अहंकार होता है तो क्रोध आता है, और क्रोध आने पर बुद्धि साथ छोड़ जाती है। और बिना बुद्धि के मनुष्य कभी भी सही निर्णय नहीं कर सकता।
इसलिए मनुष्य को चाहिए टेक्नोलॉजी के ज्ञान के साथ साथ दिव्य ज्ञान को जरूर पढ़े जो हमारे पूर्वजो की तपस्या का फल है। जिसे एक रात में नहीं बल्कि हज़ारो सालो की मेहनत से भविष्य की पीढ़ियों के सुख के लिए लिखा गया है।
0 टिप्पणियाँ