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नीच को ज्ञान क्यों नहीं देना चाहिए? - Bandar aur Chidiya ki Kahani

Murkh Bandar aur Chidiya ki kahani - एक जंगल में एक वृक्ष पर बहुत से पक्षी रहते थे। सभी अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे क्युकी बरसात का मौसम शुरू होने वाला था। सब अपने−अपने घोंसलों की मरम्मत आदि करके उसमें दाना−पानी भर लिया था। जंगल के अन्य वन्य जीवों ने भी वैसा ही इन्तजाम कर लिया था।  वया चिड़िया ने भी अपना घोसला ठीक करके उसमे खाने पीने की चीज़े जुटा ली थी, ताकि उसके बच्चे भूखे न रहे। 

देखते ही देखते बरसात का मौसम आ गया और बहुत तेज़ वर्षा होने लगी। सभी पक्षी आराम से अपने-अपने घोंसलों में बैठे थे। तभी अचानक न जाने कहां से एक बन्दर भीगता हुआ वहां आया और उसी पेड़ की एक डाल पर पत्तों की आड़ में दुबककर बैठ गया। बन्दर ठंड से बुरी तरह कांप रहा था।

दुष्ट को ज्ञान क्यों नहीं देना चाहिए? - Bandar aur Chidiya ki Kahani



वया चिड़िया (Baya aur Bandar ki kahani) को उस बन्दर को देखकर बड़ी दया आई। मगर वो कर ही क्या सकती थी। उसका घोसला भी इतना बड़ा नहीं था। अन्य सभी पक्षी भी उसको देखकर दुखी हो रहे थे। बया चिड़िया मन ही मन गुस्सा भी हो रही थी। 

वह सोच रही थी कि कैसा ये मूर्ख बन्दर (bandar ki kahani)। ईश्वर ने इसे हाथ पैर दिए हैं। अगर चाहें तो ये मनुष्यों की तरह अपने घर बनाकर आराम से रह सकते हैं, मगर इन्हें तो सारा दिन हुड़दंग मचाने से ही फुरसत नहीं मिलती।

आखिरकार उससे नहीं रहा गया तो वह बोली−'बंदर भइया! हम पक्षियों को देखो। हमें भगवान ने हाथ नहीं दिए, मगर फिर भी हमने अपने−अपने घोंसले बना रखे हैं और सर्दी, धूप या बरसात से अपने बच्चों की रक्षा कर लेते हैं। भगवान् श्रीकृष्ण ने सभी जीवो को कर्म करने को ही कहा है।  तुम्हें तो भगवान ने हाथ भी दिए हैं और पैर भी. आप लोग सारा दिन शैतानियां तो करते रहते हैं, मगर धूप−बरसात से बचने के लिए घर नहीं बना सकते। धिक्कार है आपके जीवन को।'

बया की यह बात सुनते ही बन्दर को क्रोध आ गया। उस दुष्ट बन्दर ने यह बात नहीं समझी कि बया को उसकी ऐसी हालत देखकर कष्ट हो रहा है, और वो उसे समझा रही है। लेकिन उसने समझा कि बया उसका मजाक उड़ा रही है। बस फिर क्या था। एक ही छलांग में वह बया के घोंसले वाली डाल पर पहुंच गया और क्रोध से थर−थर कांपते हुए बोला−'बया की बच्ची! तू अपने आपको बहुत सयानी समझ रही है। बड़ा घमंड है तुझे अपने घोंसले पर, तो ये ले...।'

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कहकर उसने झपट्टा मारकर बया का घोंसला तोड़ दिया और जमीन पर फेंक दिया। घोंसले में बैठे बया के छोटे−छोटे बच्चे रोने लगे। बया भी जोर−जोर से रोने लगी। कहीं बन्दर दूसरे पक्षियों के घोंसले भी न तोड़ डाले, यही सोचकर सभी पक्षी अपने−अपने घोसलों से निकल आए और हमला कर उन्होंने बन्दर को वहां से भगा दिया। 

विष्णु शर्मा (पंचतंत्र) - पद्म पुराण / भविष्य पुराण 

Murkh Bandar aur Chidiya ki Kahani का भावार्थ (नैतिक शिक्षा ) -


इस कहानी (नैतिक शिक्षा ) से हमें ये समझ आया की इस दुनियां में हमेशा दीन की मदद करो, अर्थात जो आपसे सहायता मांग रहा है।  लेकिन हीन की न मदद करो और न ही उसे अपना ज्ञान दो। क्युकी हीन व्यक्ति इस दुनियाँ में नर्क भोगने के लिए पैदा होता है। उसकी मदद न तो भगवान् करते है और न प्रकृति। 

कौन होते है दीन और हीन व्यक्ति ?


दीन व्यक्ति - 

ये वे लोग होते है जो कर्म करने के बाद भी समस्याओ में फसे होते है। ये लोग भगवान् को ध्यान में रखते है और अपने जानने वालो या अनजान से  सहायता की आशा करते है। जैसे रास्ते में कोई फसा व्यक्ति, कोई भूखा या की जरूरतमंद जो चलकर आपसे सहायता मांग रहा हो, सलाह मांग रहा हो, ये दीन व्यक्ति होते है। जिन्हे भगवान सहायता के लिए किसी न किसी को भेजते है। हो सकता है की इन दीन के लिए आप ही पैगम्बर या मसीहा हो.
दीन व्यक्ति गरीब होकर भी आशावान बना रहता है। उसकी यही आशा प्रभु वरदान के रूप में बदल देते है। 

हीन व्यक्ति -

ये वे लोग होते है। जो साधन होते हुए भी अपने कार्य नहीं करते। हर चीज़ इन्हे प्रकृति से फ्री में चाहिए, लेकिन प्रकृति को न तो धन्यवाद करते है और न ही प्रकृति की सहायता करते है। इनमे प्रायः ये गुण पाए जाते है। - स्वार्थी, कपटी, लालची, आलसी, चोरी, नास्तिक। 

नीच व्यक्ति किसे कहते हैं?


ऐसे लोगो को पुराणों में नीच कहा जाता है जो लोग अपने पूर्वजो तक को कोशते रहते है। इनका जन्म सिर्फ दुःख, कलेश भोगने के लिए ही होता है। इन्हे अगर आप सही मार्ग भी दिखाओगे तब भी ये अपना काम छोड़कर आपका नुक्सान करने की कोशिश में लग जाते है। क्युकी दुष्टता इनके खून में वायु की तरह मिली होती है। ऐसे नीच लोगो से बात नहीं करनी चाहिए, या उतनी बात करे जितनी जरुरत हो। 

पुराने समय में ऐसे स्वार्थी, कपटी, लालची, आलसी, नास्तिक, धोखेवाज, चोरी, बलात्कारी, लोगो को गांव व् समाज से बाहर कर दिया जाता था। जिससे छुआछूत की शुरुआत हुए। इनमे से कुछ पीढ़ियां वेद पुराण के अध्ययन से नर्क से बाहर आ गए, तो कुछ लोग आज के युग में भी उसी नर्क में कष्ट भोग रहे है। जिन्हे चाह कर भी कोई नहीं समझा सकता। 

ये लोग आज भी अपने स्वार्थ, कपट, लालच, आलस, नास्तिक, धोखेवाज, बलात्कार आदि को महत्ता देते है। ऐसे हीं हीन व्यक्तियों से आज भी  आपको दूर ही रहना चाहिए।  क्युकी ये आपके लिए दुष्ट बन्दर की तरह है और रहेंगे। 

नहीं तो आपके साथ भी chidiya aur Bandar ki kahani जैसा होना निश्चित है। 

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