एक गांव में एक व्यक्ति अपनी गाय दान करना चाहता था तो वो अपने गांव के पास एक गुरु आश्रम में गया हाथ जोड़कर विनम्र प्रार्थना की - में अपनी एक गाय दान करना चाहता हु जो दूध देती है। इससे बच्चो को पौष्टिक दूध मिलेगा जो इनकी शिक्षा के समय अति आवश्यक है।
गुरु जी ने कहा - यह तो बहुत ही अच्छी बात है", इससे यहाँ विद्यार्थियों को दूध मिलने लगेगा। गाय पाकर सभी आश्रमवासी प्रसन्न थे।
लेकिन कुछ दिनों के बाद गाय दान करने वाला व्यक्ति पुन: आश्रम आया और कहने लगा, “महाराज, मैं अपनी गाय वापस लेने आया हूँ । यदि आप मेरी गाय वापस लौटा देंगे तो आपकी बड़ी कृपा होगी।'
आश्रम-प्रमुखने कहा, 'यह तो बड़ी ही अच्छी बात है।' यह कहकर उन्होंने बिना कुछ पूछताछ किये बड़े प्यार से गाय उसके पुराने स्वामी को लौटा दी। जब वह व्यक्ति अपनी गाय लेकर वापस चला गया तो आश्रम-प्रमुख के एक शिष्य ने उनसे पूछा, ''गुरुजी! जब वह व्यक्ति गाय दान करने आया था तब भी आपने
यह कहा था--यह तो बड़ी ही अच्छी बात है' और आज जब व्यक्ति गाय वापस माँगने लगा तो भी आपने कहा--'यह तो बड़ी ही अच्छी बात है।' गाय वापस देने से हम सब दूध से वंचित हो गये। इसमें कौन-सी अच्छी बात है?
'गुरुजीने कहा--' देखो, जब गाय आयी तो दूध देती थी, अतः इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी? गाय दूध देती थी तो उसकी देखभाल भी करनी पड़ती थी। अब गाय वापस चली गयी है तो अब हम सब आश्रमवासियों कों गोबर उठाने एवं गाय की देखभाल से भी मुक्ति मिल गयी है। अतः अब इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है?
कुछ महीनों के बाद गाय का स्वामी पुनः आश्रम में आया और कहने लगा--' महाराज! की गाय दान में देने के बाद उसे वापस लेकर अच्छा न किया। मैं गाय को वापस देने आया हूँ, कृपया इसे स्वीकार कर मेरी भूल को क्षमा करें।
आश्रम-प्रमुख ने उससे मुस्कराते हुए कहा की कहा--'यह तो बड़ी ही अच्छी बात है। और वह व्यक्ति उस गाय को आश्रम में छोड़कर चला गया तो एक शिष्य ने प्रश्न करते हुए पूछा, गुरुजी, अब यह गाय दूध भी नहीं देती है। अत: किसी काम की नहीं है । अब मुफ्त में इसका गोबर उठाना पड़ेगा और सेवा करनी पड़ेगी। फिर भी आपने क्यों कहा कि यह तो बड़ी ही अच्छी बात है? अब इसमें भी कौन-सी अच्छी बात रह गयी है?
आश्रम-प्रमुखने कहा - गाय दूध नहीं देती तो कोई बात नहीं। दूध के कारण गाय की सेवा करना तो सकाम कर्म की श्रेणी में आता है। अब यह दूध नहीं देती तो इसकी सेवा निष्काम कर्म की श्रेणी में आयेगी। निष्काम कर्म से उत्कृष्ट कोई बात हो ही नहीं सकती। वैसे तो गोमाता की सेवा करना हमारे यहाँ धर्म माना जाता है। गाय की सेवा कर हम सहज ही धर्म में प्रवृत्त हो सकेंगे। दूसरे गाय के गोबर से तैयार खाद आश्रम के पेड़-पौधों एवं खेतों में डालने के काम आयेगी। फिर कुछ दिनों के बाद जब यह गाय पुनः ब्यायेगी तो दूध भी स्वत: सुलभ हो जायगा।
वास्तव में किसी भी घटना के मुख्यतः दो पक्ष होते हैं, एक सकारात्मक पक्ष और दूसरा नकारात्मक पक्ष। यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि हम किसी भी घटना को किस रूप में लेते हैं। उसका सकारात्मक पक्ष देखते हैं या नकारात्मक पक्ष। यदि हम हर घटना के
केवल सकारात्मक पक्ष को ही देखते हैं तो हम जीवनमें दुःखों से बचे रहकर असीम खुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सदैव प्रसन्न बने रहने का एकमात्र यही उपाय है कि हम घटनाओं के केवल सकारात्मक पक्ष को ही देखें और आशावादी बने रहें । किसी भी घटना में केवल प्रत्यक्ष अथवा वर्तमान लाभ देखना ही हमारी सबसे बड़ी भूल होती है।
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