जानिये हिन्दू धर्म के अनुसार स्नान कब और कैसे करना चाहिए ??
क्या आप जानते है की स्नान कब ओर केसे करना चाहिए ताकि घर की सुख और समृद्धि बढे, चलिए आज हम हिन्दू धर्म में बताई गयी महत्वपूर्ण बातों में से आज स्नान या नहाने के बारे में जानते है.
यहाँ हम जानने की कोशिश करेंगे स्नान करने का तरीका या स्नान के प्रकार :
अगर आप सुबह के समय नहाते है तो सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।
पहला - मुनि स्नान
जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है। मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
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दूसरा - देव स्नान जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है। देव स्नान उत्तम है।
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तीसरा - मानव स्नान जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है। मानव स्नान समान्य है।
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चौथा - राक्षसी स्नान
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है। मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
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दूसरा - देव स्नान जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है। देव स्नान उत्तम है।
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तीसरा - मानव स्नान जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है। मानव स्नान समान्य है।
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चौथा - राक्षसी स्नान
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
स्नान करते समय करें इस मंत्र का जाप, जीवन के हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता :
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
नदी में स्नान करते समय करें ये काम मिलेगी सफलता :
यदि व्यक्ति नदी में स्नान कर रहा है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर उसमें तुरंत डुबकी लगा देनी चाहिए। ऐसा करने से उसे नदी स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा भी नष्ट हो जाएगी। इस उपाय को करने से ग्रह दोष शांत होते हैं अौर बुरी नजर से भी बचाव होता है।
अब ऊपर बताये अनुसार स्नान करने के फायदे एवं नुकसान :
मुनि स्नान
घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
देव स्नान
आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
मानव स्नान
काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
राक्षसी स्नान
दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे। खास कर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो। घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए। ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।
उस समय एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तब भी घर में पैसा नहीं रुकता उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है। ये प्रकृति के नियम है जिन्हें ऋषियों और मुनियों ने सबको बताया है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है। इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।
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